Sanware

Deepanshu Jain

संवारे संवारे मेरे घर आओ कभी
प्यासी हैं जी काब्से अखियाँ दर्श दिखाओ कभी
नटखट गोबिंड़ा नटखट गोपाला
गैया चिराए बोलो कौन है ये ग्वाला
नटखट गोबिंड़ा नटखट गोपाला
गैया चिराए बोलो कौन है ये ग्वाला
प्यार की ये भासा ज़रा हमे भी सिख़ाओ कभी
संवारे संवारे मेरे घर आओ कभी
प्यासी है जी काब्से अखियाँ दर्श दिखाओ कभी
संवारे संवारे मेरे घर आओ कभी
प्यासी है जी काब्से अखियाँ दर्श दिखाओ कभी

बचना रे बचना कान्हा रंग लगाए
बरसाने के सभी रास्ता सजाए
माखन मटकी रे अपनी बचा लो
मटकी फोड़के नाच नचाए
प्रीत का यह रंग ज़रा हमे भी लगाओ कभी
संवारे संवारे मेरे घर आओ कभी
प्यासी हैं जी काब्से अखियाँ दर्श दिखाओ कभी
संवारे संवारे मेरे घर आओ कभी
प्यासी हैं जी काब्से अखियाँ दर्श दिखाओ कभी

तुमरी लीला कोई समझे ना समझे
माया तुम्हारी से कैसे कोई बच ले
तुमरी लीला कोई समझे ना समझे
माया तुम्हारी से कैसे कोई बच ले
प्राण जो मैने तुझको अर्पण किए तो
प्रेम रंग क्या है यह एब्ब जाके समझे
मीठी मान-मोहिनी मुरली मेरे लिए भी बजाओ कभी
संवारे संवारे मेरे घर आओ कभी
प्यासी हैं जी कब्से अखियाँ दर्श दिखाओ कभी
संवारे संवारे मेरे घर आओ कभी
प्यासी हैं जी कब्से अखियाँ दर्श दिखाओ कभी

Wissenswertes über das Lied Sanware von हंसराज रघुवंशी

Wer hat das Lied “Sanware” von हंसराज रघुवंशी komponiert?
Das Lied “Sanware” von हंसराज रघुवंशी wurde von Deepanshu Jain komponiert.

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