Panghat Ko Chali Panihari Re

Pandit Indra Chandra

पनघट को चली पनिहारी
पनघट को चली
पनिहारी पनिहारी रे
पनघट को चली
पनिहारी पनिहारी रे
कमर पर घड़ा डरे मटवारी
कमर पर घड़ा डरे
मटवारी मटवारी रे
कमर पर घड़ा डरे मटवारी
पनिहारी रे
पनिहारी लचक ना जाना
पनिहारी हो पनिहारी
पनिहारी लचक ना जाना
घड़ा तेरा भारी रे पनिहारी रे
घड़ा तेरा भारी रे पनिहारी रे
पनघटो चली पनिहारी
पनघटो चली
पनिहारी पनिहारी रे
जिस पनघट लहराए हो
सावन बार है ना
उस पनघट प्यासी खड़ी
पिया मिलन की आस
क्यू पहना गुलाबी दुपट्टा
क्यू पहना गुलाबी दुपट्टा
अभी तो हुआ री रे पनिहारी रे
क्यू पहना गुलाबी दुपट्टा
अभी तो हुआ री रे पनिहारी रे
पनघटो चली पनिहारी
पनघटो चली पनिहारी
पनिहारी रे

मैं हूँ छ्होटी
मैं हूँ छ्होटी सी छ्होटी डगरिया
मैं हूँ छ्होटी
मैं हूँ छ्होटी सी छ्होटी डगरिया
मोरी पीछे बाबुल की नगरिया
मोरी पीछे बाबुल की नगरिया
मोहे पनघट की प्यारी रे
मोहे पनघट की प्यारी रे
पनघटो चली पनिहारी
पनघटो चली
पनिहारी पनिहारी रे
धीरे खिछो बदन यह होल
धीरे खिछो
धीरे खिछो बदन यह होल
लहरा में है नाज़ुक जवानी
लहरा में है नाज़ुक जवानी
देखो झूमे है
नींदिया की मारी
देखो झूमे है
नींदिया की मारी रे पनिहारी रे
पनघटो चली पनिहारी
पनघटो चली
पनिहारी पनिहारी रे

Wissenswertes über das Lied Panghat Ko Chali Panihari Re von राजकुमारी

Wer hat das Lied “Panghat Ko Chali Panihari Re” von राजकुमारी komponiert?
Das Lied “Panghat Ko Chali Panihari Re” von राजकुमारी wurde von Pandit Indra Chandra komponiert.

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