Pyar Ki Shama Ko
Rajendra Krishan
प्यार की समां को
तक़दीर बुझती क्यूँ है
प्यार की समां को
तक़दीर बुझती क्यूँ है
इस बर्बाद ए मोहब्बत को
रुलाती क्यों है
इस बर्बाद ए मोहब्बत को
रुलाती क्यों है
मेरी उजड़ी हुई दुनिया को
बसाया क्यूँ था
मेरी उजड़ी हुई दुनिया को
बसाया क्यूँ था
प्यार का दर्द मेरे दिल में
जगाया क्यों था
प्यार का दर्द मेरे दिल में
जगाया क्यों था
जो न पुरे हो वही
ख्वाब दिखाती क्यों है
जो न पुरे हो वही
ख्वाब दिखाती क्यों है
प्यार की समां
जो ताकदृ बूझती क्यूँ है
जिन्हे एक रोज़ बिछड़ना है
वो मिलते क्यों है
जिन्हे एक रोज़ बिछड़ना है
वो मिलते क्यों है
खिलके मुर्झाना है फूलो को
तो खिलते क्यूँ है
खिलके मुर्झाना है फूलो को
तो खिलते क्यूँ है
उम्र भर रोने को एक रोज़
हसती क्यों है
उम्र भर रोने को एक रोज़
हसाती क्यों है
प्यार की समां को
तक़दीर बुझती क्यूँ है
इस बर्बादी मोहब्बत को
रुलाती क्यों है