Lag Ja Gale

Ghazi, Iqbal Qureshi

लग जा गले के फिर ये हसीं रात हो ना हो
शायद फिर इस जनम में मुलाक़ात हो ना हो
लग जा गले कि फिर ये हसीं रात हो ना हो
शायद फिर इस जनम में मुलाक़ात हो ना हो
लग जा गले हे हे हे
औ औ हां औ

हमको मिली हैं आज ये घड़ियाँ नसीब से
जी भर के देख लीजिये हमको क़रीब से
फिर आपके नसीब में ये बात हो ना हो
शायद फिर इस जनम में मुलाक़ात हो ना हो
लग जा गले हे हे हे

पास आइये के हम नहीं आएंगे बार बार
बाहें गले में डाल के हम रोले ज़ार ज़ार
आँखों से फिर ये प्यार कि बरसात हो ना हो
शायद फिर इस जनम में मुलाक़ात हो ना हो
लग जा गले हे हे हे
हां हां हां औ औ औ

Wissenswertes über das Lied Lag Ja Gale von सनम

Wer hat das Lied “Lag Ja Gale” von सनम komponiert?
Das Lied “Lag Ja Gale” von सनम wurde von Ghazi, Iqbal Qureshi komponiert.

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