Fasle Bahar Kya Kahoon

Ibrahim Ashq

फ़सले बहार क्या कहु आई जो कल गयी
फ़सले बहार क्या कहु आई जो आज कल गयी
पहले तो दिल महक गया फिर जैसे जान निकल गयी
फ़सले बहार क्या कहु आई जो आज कल गयी

अपनी वफ़ा की दास्तान छेड़ी ना हमने हर कही
अपनी वफ़ा की दास्तान छेड़ी ना हमने हर कही
पूछा तो मुस्कुरा दिए और यूही बात टल गयी
पूछा तो मुस्कुरा दिए और यूही बात टल गयी
फ़सले बहार क्या कहु आई जो आज कल गयी

मैं तो शमा हूँ प्यार की मेरा नसीब है यही
मैं तो शमा हूँ प्यार की मेरा नसीब है यही
दम भर में जैसे बुझ गयी, पल भर में जैसे जल गयी
दम भर में जैसे बुझ गयी, पल भर में जैसे जल गयी
फ़सले बहार क्या कहु आई जो आज कल गयी

तेरे करम का ये असर हम पे हुआ ए हमसफ़र
तेरे करम का ये असर हम पे हुआ ए हमसफ़र
गम तो खुशी ना बन सका गमे खुशी भी टल गयी
गम तो खुशी ना बन सका गमे खुशी भी टल गयी
फ़सले बहार क्या कहु आई जो आज कल गयी

लाखो सवाल आ गये अश्क अपने सामने
लाखो सवाल आ गये अश्क अपने सामने
कोई सलोनी आरज़ू जब भी कभी मचल गयी
कोई सलोनी आरज़ू जब भी कभी मचल गयी
फ़सले बहार क्या कहु आई जो आज कल गयी
पहले महक गया फिर जैसे जान निकल गयी
फ़सले बहार क्या कहु ऊ ऊ ऊ

Wissenswertes über das Lied Fasle Bahar Kya Kahoon von पिनाझ मसानी

Wann wurde das Lied “Fasle Bahar Kya Kahoon” von पिनाझ मसानी veröffentlicht?
Das Lied Fasle Bahar Kya Kahoon wurde im Jahr 2009, auf dem Album “Dilruba” veröffentlicht.
Wer hat das Lied “Fasle Bahar Kya Kahoon” von पिनाझ मसानी komponiert?
Das Lied “Fasle Bahar Kya Kahoon” von पिनाझ मसानी wurde von Ibrahim Ashq komponiert.

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