kho gaya

Zaeden, Nikita Ahuja, Yashraj

कुछ ही दिन से हूँ
मैं भी गिनता दिन यहा
जैसे कोई ढूँढे बेवजह
जीने की वजह
मिलने हैं आई मुझसे वो रातें
मुझसे वो यादें बार बार
क्यूँ दूर हैं तू फिर भी यहीं हैं
करता हूँ इंतेज़ार
जाने यह क्या हो गया
में क्यूँ तन्हा हो गया
तेरी यादों में में क्यूँ
जाने क्यूँ मैं खो गया
जाने यह क्या हो गया
जाने दो जो भी हुआ
सोचा करता हू में क्यूँ
जाने क्यूँ में खो गया
कैसे अब कहु
तुमसे जो ना केह सका
मुझको कोई समझे ना तू बता
तू क्या ले गया
मिलने हैं आई मुझसे वो रातें
मुझसे वो यादें बार बार
थोड़ा सा ही दूर थोड़ा सा ग़लत में
आओ ना एक बार
जाने यह क्या हो गया
में क्यूँ तन्हा हो गया
तेरी यादों में में क्यूँ
जाने क्यूँ मैं खो गया
जाने यह क्या हो गया
जाने दो जो भी हुआ
सोचा करता हूँ में क्यूँ
जाने क्यूँ में खो गया

जाने क्यूँ में खो गया हूँ
तुझको मिलकर आँखो में थी बातें
पर यॅ होट मेरे सिलकर
चुप ख़तम तो हुआ था
मिले ना हम सालों में
पर जबही खोए यादों में
तू ढूंढ ना गानो में सच खैर
बीतेंगे साल और खड़ा में stage पे
भाईं सारे करे रेज और
नज़ारे पड़ती लोगो बीच में
वाहा पे खड़ी अकेली तू भीड़ में
सोचु की सपना हैं या नसीब हैं
दिल पे जो रहता वो आँखो पे ना हैं यकीन
पर खुद को पूछता रहता repeat पे

जाने यह क्या हो गया
में क्यूँ तन्हा हो गया
तेरी यादों में में क्यूँ
जाने क्यूँ मैं खो गया
जाने यह क्या हो गया
जाने दो जो भी हुआ
सोचा करता हूँ में क्यूँ
जाने क्यूँ में खो गया

Wissenswertes über das Lied kho gaya von ज़ाएदेन

Wer hat das Lied “kho gaya” von ज़ाएदेन komponiert?
Das Lied “kho gaya” von ज़ाएदेन wurde von Zaeden, Nikita Ahuja, Yashraj komponiert.

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