Bikhri Bikhri

JAVED AKHTAR, SOHAIL SEN

हे हे रे रे रे रे रे रे

बिखरी बिखरी सी ज़ूलफें हैं क्यूँ
खोई खोई सी आँखें हैं क्यूँ
गम का यह पल गुज़र जाएगा
फिर कोई हमसफ़र आएगा
बिखरी बिखरी सी ज़ूलफें हैं क्यूँ
खोई खोई सी आँखें हैं क्यूँ
गम का यह पल गुज़र जाएगा
फिर कोई हमसफ़र आएगा

हे हे रे रे रे रे रे रे
ओ ओ ओ ओ ओ ओ ओ ओ ओ ओ ओ ओ ओ ओ ओ ओ ओ

बीते पल भूल जा
वो पल नहीं हैं कहीं
लाएँगे पल नये
एक ज़िंदगी फिर हसीन
यह भीगी पलकें उठा
यह सोच के मुस्कुरा
लाएगा फिर समय
कोई ज़माना ऐसा यहाँ
फिर चलेगी हवा मनचली
फिर से महकेगी कोई कली
फिर कोई हमसफ़र आएगा
दिल कोई गीत फिर गाएगा

हे हे रे रे रे रे रे रे

रात लंबी सहे फिर भी यह एक रात है
सुबह हो जाएगी सौ बातों की बात है
फिर जागेगी यह फ़िज़ा
फिर दिल का एक रास्ता
ले जाएगा वहीं तुझे
तेरे है मंज़िल जहाँ
सच तो यह है की होना है यूँ
तो इन आखों में आसू है क्यूँ
गम ना कर तू जो मुरझा गये
फूल खिल जाएँगे फिर नये

हे हे रे रे रे रे रे रे

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