Raaz
कैसे बताए किसिको अपने गीले
खुदसे छिपाए है जो राज़ इतने
दिल कहता है ये सुनले तू मॅन की
इक बार... इक बार
मिल जाएगा तुझे.. ढूँढे जो तू दिल से..
दिन हो या रात... दिन हो या रात
सपनो में तेरी हक़ीक़त.. करले तू अपनी इबादत
पूरी हो जाए तेरी ख्वाहिश क्या पता
अपनो मे मिलती है राहत.. अपने जब बने तेरी ताक़त
दूरी मिट जाए छूके साज़िश ना रचा
कैसे बताए किसिको अपने गीले
खुदसे छिपाए है जो राज़ इतने
ये सारे तू राज़ दबा दे
सीने मे आज पनाह दे
पल भर तो लिहाज़ करा कर
क्या मिला मुझे, काँच चुबा कर
ये सब बस बातें है
ये तो सब आके खाते है..
सूखे पड़े है लब काब्से..
होने वाली बरसातें है
जो लिखा मैने, पढ़ा मैने
तेरे लिए करा मैने
खोया तुझे क्यूँ सोचा बड़ा मैने
सोचो मे ये ज़िंदगी बीतदि पूरी
खुदको ही जाके दफ़न था करा मैने
राज़ सारे खुल जाते है
जीतना ये छुपाते है
उठ गया तेरा मॅन मुझसे
चलो जाना हम जाते हैं
कैसे बताए किसिको... राज़ अपने