Maa, Pt. 1
ROHAN, VINAYAK, SHREYAS JAIN
हर डांट तेरी फिकर थी
हर बात मेरे ज़िकर की थी
हर डांट तेरी फिकर थी
हर बात मेरे ज़िकर की थी
मुझे बोझ लगती थी तू
मायटो थी तेरा तेरा जहाँ
ओ मा क्यूँ मैं
तुझको समझा पाई ना
मेरी मा क्यूँ मैं
तुझको समझा पाई ना
मेरी मा
अब जाना मा तुझको
भूख क्यूँ लगती थी
अपने हिस्से की दो रोटी
मेरी पाल्ट में रखती थी
क्यूँ कभी तुझे कोई
महनगी सदी भाई ना
ओ मा क्यूँ मैं
तुझको समझा पाई ना
मेरी मा क्यूँ मैं
तुझको समझा पाई ना
ओ मा क्यूँ मैं
तुझको समझा पाई ना
मेरी मा क्यूँ मैं
तुझको समझा पाई ना
मेरी मा मेरी मा
मेरी मा मेरी मा