Ishq Tumpe Aise
Yash Eshwari
जैसे चाँद को तरसे दिन का कोई तारा
किसी नूर को ढूंढ रहा हो अँधियारा
चाहे नजर को जैसे एक नजारा
साहिल के लहरों के बिना हो ना गुजारा
तू ही कहो कहूं मैं कैसे
आने लगा है इश्क़ तुम पे ऐसे
आने लगा है इश्क़ तुम पे ऐसे
आने लगा है इश्क़ तुम पे ऐसे
आने लगा है इश्क़ तुम पे ऐसे
पैरों के निशान अब तेरे
वास्ते बन रहे हैं मेरे
बाँहों के तेरे ये खैरे
जैसे प्यार की हो लहरें
रेत ये मांगे बहारां
नजरें जो चाहे नजारा
जैसे बेज़ुबाँ को लब्ज़ मिल गए
मांगे वफ़ा को जैसे आवारा
किसी साथ को ढूंढ रहा हो बेसहारा
जैसे जीना चाहे मरके कोई दुबारा
तिल जीत के जैसे खुद को ही कोई हारा
तुम ही कहो कहूं मैं कैसे
आने लगा है इश्क़ तुम पे ऐसे
आने लगा है इश्क़ तुम पे ऐसे
आने लगा है इश्क़ तुम पे ऐसे
आने लगा है इश्क़ तुम पे ऐसे
तेरे इश्क़ की छाँव विच रख मेनू
ओ मेरे माहिया ओ माहिया