Chhod Aaye Hum

GULZAR, VISHAL BHARADWAAJ

छोड़ आये हम वो गलियाँ
छोड़ आये हम वो गलियाँ वो गलियाँ

छोड़ आये हम वो गलियाँ
छोड़ आये हम वो गलियाँ
जहाँ तेरे पैरों के
कँवल गिरा करते थे
हँसे तो दो गालों में
भंवर पड़ा करते थे
हो जहाँ तेरे पैरों के
कँवल गिरा करते थे
हँसे तो दो गालों में
भंवर पड़ा करते थे
ओह तेरी कमर के बल पे
नदी मुड़ा करती थी
हंसी तेरी सुन सुनके
फसल पका करती थी
छोड़ आये हम वो गलियाँ
छोड़ आये हम वो गलियाँ

हम्म जहाँ तेरी एड़ी से
धूप उड़ा करती थी
सुना है उस चौखट पे
अब शाम रहा करती है हो हो
हो जहाँ तेरी एड़ी से
धूप उड़ा करती थी
सुना है उस चौखट पे
अब शाम रहा करती है हाय हाय
लटों से उलझी लिपटी
इक रात हुआ करती थी
हो कभी कभी तकिये पे
वो भी मिला करती है
छोड़ आये हम वो गलियाँ
छोड़ आये हम वो गलियाँ

दिल दर्द का टुकड़ा है
पत्थर की डली सी है
इक अँधा कुआँ है या
इक बंद गली सी है
इक छोटा सा लम्हां है
जो ख़त्म नहीं होता
मैं लाख जलाता हूँ
ये भस्म नहीं होता
ये भस्म नहीं होता
छोड़ आये हम वो गलियाँ
छोड़ आये हम वो गलियाँ

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