Zaalima [Abhijeet Sawant]

Amitabh Bhattacharya

जो तेरी खातिर तडपे पहले से ही
क्या उसे तडपाना
ओ ज़ालिमा ओ ज़ालिमा
जो तेरे इश्क में बेहका पहले से ही
क्या उसे बहकाना
ओ ज़ालिमा ओ ज़ालिमा
आँखें मरहबा बातें मरहबा
मैं सौ मर्तबा दीवाना हुआ
मेरा ना रहा जब से दिल मेरा
तेरे हुस्ना का निशाना हुआ
जिसकी हर धड़कन तू हो
ऐसे दिल को क्या धडकना
ओ ज़ालिमा ओ ज़ालिमा
जो तेरी खातिर तडपे पहले से ही
क्या उसे तडपाना
ओ ज़ालिमा ओ ज़ालिमा

साँसों में तेरी नजदीकियों का
इत्र्र तू घोल दे घोल दे
मैं ही क्यूँ इश्क ज़ाहिर करूँ
तू भी कभी बोल दे बोल दे
साँसों में तेरी नजदीकियों का
इत्र्र तू घोल दे घोल दे
मैं ही क्यूँ इश्क ज़ाहिर करूँ
तू भी कभी बोल दे बोल दे
लेके जान ही जाएगा मेरी
क़ातिल हर तेरा बहाना हुआ
तुझसे ही शुरु
तुझपे ही ख़तम
मेरे प्यार का फ़साना हुआ
तू शम्मा है तो याद रखना
मैं भी हूँ परवाना
ओ ज़ालिमा ओ ज़ालिमा
जो तेरी खातिर तडपे पहले से ही
क्या उसे तडपाना
ओ ज़ालिमा ओ ज़ालिमा

ओ ज़ालिमा

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