Ki Bas
Aziz Ghazipuri
हमारी आँखों से बरसात यूँ हुई है कि बस
हमारी आँखों से बरसात यूँ हुई है कि बस
कटी है रात मगर
कटी है रात मगर रात यूँ कटी है कि बस
हमारी आँखों से बरसात यूँ हुई है कि बस
हा हा हा हा हा हा
कमी तो कोई ना महफ़िल में थी तुम्हारे सिवा
कमी तो कोई ना महफ़िल में थी तुम्हारे सिवा
मगर तुम्हारी कमी
मगर तुम्हारी कमी दिल को यूँ खली है कि बस
हमारी आँखों से बरसात यूँ हुई है
जिसे था क़ूवत ए परवाज़ पर ग़ुरूर अज़ीज़
जिसे था क़ूवत ए परवाज़ पर ग़ुरूर अज़ीज़
वही पतंग बुलंदी पे यूँ कटी है कि बस
वही पतंग बुलंदी पे यूँ कटी है कि बस
कटी है रात मगर
कटी है रात मगर रात यूँ कटी है कि बस
हमारी आँखों से बरसात यूँ हुई है कि बस
हमारी आँखों से बरसात यूँ हुई है कि बस