Kahin Pe Nigahen Kahin Pe Nishana

MAJROOH SULTANPURI, ONKAR PRASAD NAYYAR

कही पे निगाहे
कही पे निशाना
कही पे निगाहे
कही पे निशाना
जीने दो जालिम बनाओ
ना दीवाना
कही पे निगाहे
कही पे निशाना
कही पे निगाहे
कही पे निशाना

कोई ना जाने इरादे हैं किधर के
कोई ना जाने इरादे हैं किधर के
मार ना देना तीर नज़र का
किसी के जिगर पे
मार ना देना तीर नज़र का
किसी के जिगर पे
नाज़ुक ये दिल है
बचाना ओ बचाना
कही पे निगाहे
कही पे निशाना
कही पे निगाहे
कही पे निशाना

तौबा जी तौबा निगाहो का मचलना
तौबा जी तौबा निगाहो का मचलना
देख भाल के ऐ दिलवालो पहलू बदलना
देख भाल के ऐ दिलवालो पहलू बदलना
काफ़िर अदा की अदा हैं मस्ताना
कही पे निगाहे
कही पे निशाना
कही पे निगाहे
कही पे निशाना

ज़ख्मी हैं तेरे
जाए तो कहा जाए
ज़ख्मी हैं तेरे
जाए तो कहा जाए
तेरे तीर के मारे हुए
देते हैं सदाए
तेरे तीर के मारे हुए
देते हैं सदाए
कर दो जी घायल
तुम्हारा हैं ज़माना
कही पे निगाहे
कही पे निशाना
कही पे निगाहे
कही पे निशाना

आया शिकारी
ओ पँछी तू संभल जा
आया शिकारी
ओ पँछी तू संभल जा
एक जाल हैं ज़ुल्फो का तू चुपके से निकल जा
एक जाल हैं ज़ुल्फो का तू चुपके से निकल जा
उड जा ओ पँछी
शिकारी हैं दीवाना
कही पे निगाहे
कही पे निशाना
कही पे निगाहे
कही पे निशाना

Wissenswertes über das Lied Kahin Pe Nigahen Kahin Pe Nishana von शमशाद बेगम

Wer hat das Lied “Kahin Pe Nigahen Kahin Pe Nishana” von शमशाद बेगम komponiert?
Das Lied “Kahin Pe Nigahen Kahin Pe Nishana” von शमशाद बेगम wurde von MAJROOH SULTANPURI, ONKAR PRASAD NAYYAR komponiert.

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