Kya Mai Kya Tu
यह मोहब्बातों के मारों का गीत नही
इस गीत के ख़यालों में मीत नही
मेरे चैन में तेरा भी सुकून रहे
तेरा ज़ख़्म हो तो मेरा भी खून बहे
तेरी कामयाबियों में हो जीत मेरी
तेरी रस्म से जुड़ा ना हो रीत मेरी
मैं ही मैं, या तू ही तू
मैं ही मैं, या तू ही तू
तो क्या मैं, क्या तू
क्या मैं, क्या तू
तेरी रोशनी में मेरा भी नूर रहे
मेरा नाम हो, तू भी मशहूर रहे
मैं ही मैं, या तू ही तू
मैं ही मैं, या तू ही तू
तो क्या मैं, क्या तू
क्या मैं
यह जहाँ तेरा-मेरा से, होगा जाने कब हमारा
फ़र्क ही क्या है मैं हूँ या तू
जितना खुदा मेरा है, उतना वो है तुम्हारा
तर्क ही क्या है मैं हूँ या तू
तेरी ज़िंदगी में मेरा वजूद रहे
मेरी दास्तान में तू मौजूद रहे