Gustakh Nigah

Shabbir Ahmed

रेशमी चिलमन से मैने हंस के जो देखा
आशिक़ ने कलेजा चीर के
मेरे कदमों पे रख दिया

टिक टिक तीन ता, टिक टिक तीन गुस्ताख निगाह
टिक टिक तीन ता, टिक टिक तीन गुस्ताख निगाह
टिक टिक तीन ता, टिक टिक तीन गुस्ताख निगाह
टिक टिक तीन ता, टिक टिक तीन गुस्ताख निगाह

हो हो गुस्ताख निगाह पलकों की पनाह
यह शोख अदा ना कर दे फ़ना

लफ़्ज़ों में ख़ता बे-क़ैफ़ दुआ
नाकाम-ए-वफ़ा मैं सर्द हवा

हो तेरी बेचैन धड़कन को राहत मिलेगी कहाँ

धक धक धक धक धक धक धक धक

धक धक धक धक धक
धड़कता है दिल-ओ-जान
घायल ना कर दे मेरी गुस्ताख निगाह
हो हो धक धक धक धक धक
धड़कता है दिल-ओ-जान
घायल ना कर दे मेरी गुस्ताख निगाह

अदा तेरी सर आँखों पर
उठाऊँगा मैं जीवन भर
यह हसरत है के मर जाऊं
तेरे कदमों पे दिल रख कर
मेरी साँसों में तेरी चूड़ियों की
ख़न ख़न ख़न ख़न ख़न
ख़न ख़न ख़न ख़न के सनम तेरा कंगना
हे जान मेरी लेले तेरी गुस्ताख निगाह
हो हो ख़न ख़न ख़न ख़न के सनम तेरा कंगना
हे जान मेरी लेले तेरी गुस्ताख निगाह

निगाहें निगाहें, निगाहें निगाहें
निगाहें निगाहें, गुस्ताख निगाह
निगाहें निगाहें, निगाहें निगाहें
निगाहें निगाहें, गुस्ताख निगाह

हन कुदरत ने देखो खुद अपने हाथों से
मोहब्बत की खातिर तराशा मुझे
हन दुनिया की हर शह है मेरे क़ब्ज़े में
ना दीवाना समझा तराशा मुझे

यून अपने हुस्न पे आख़िर
क्यूँ सनम इतना इतराती हो
शमा को जलकर बुझना है
समझ यह क्यूँ नही पाती हो
तेरी कदमों की आहटसे हुई है छन छन
छन छन छन
छन छन छन छन के
तेरी घुंघरू की सदा
हो जान मेरी लेले तेरी गुस्ताख निगाह
ख़न ख़न ख़न ख़न के सनम तेरा कंगना
हो जान मेरी लेले तेरी गुस्ताख निगाह

टिक टिक तीन ता टिक टिक तीन गुस्ताख निगाह
टिक टिक तीन ता टिक टिक तीन गुस्ताख निगाह

निगाहें निगाहें, निगाहें निगाहें
निगाहें निगाहें, गुस्ताख निगाह

उ दिल के सन्नाटो में जो रख दे कदम अपना
वीरान तमन्ना में बहार आ जाए
बेचैन है सदियों से यह रूह तुम्हारे बिन
तुम छू लो अगर मुझको करार आ जाए

मुझे छू लेने की हसरत
ना करना भूल के दीवाने
जला कर खाक तुझे कर दे
ना मेरा हुस्न ओ परवाने
मेरे रुखसार से शर्म-ओ-हया अफ छल छल
छल छल छल
छल छल छल छल के मेरे चेहरे से हया
हो घायल ना कर दे मेरी गुस्ताख निगाह
हो छल छल छल छल के
मेरे चेहरे से हया
घायल ना कर दे मेरी गुस्ताख निगाह

ख़न ख़न ख़न ख़न के सनम तेरा कंगना
हे जान मेरी लेले तेरी गुस्ताख निगाह हो
ख़न ख़न ख़न ख़न के सनम तेरा कंगना
हे जान मेरी लेले तेरी गुस्ताख निगाह

Wissenswertes über das Lied Gustakh Nigah von Alisha Chinai

Wer hat das Lied “Gustakh Nigah” von Alisha Chinai komponiert?
Das Lied “Gustakh Nigah” von Alisha Chinai wurde von Shabbir Ahmed komponiert.

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