Apne Mehboob Ki

Faaiz Anwar

अपने महबूब की तस्वीर बनाने के लिए
अपने महबूब की तस्वीर बनाने के लिए
मैं चला रंग गुलबो से चुराने के लिए
मैं चला रंग गुलबो से चुराने के लिए
अपने महबूब की तस्वीर बनाने के लिए
अपने महबूब की तस्वीर बनाने के लिए
मैं चली रंग गुलबो से चुराने के लिए

आज की रात चिरागो को भुजा रहने दो
जुल्फ मत बंडो इन्हे यू ही खुला रहने दो
अपनी चाहत का मेरी जान नशा रहने दो
रहने दो, रहने दो, नशा रहने दो

तेरी चाहत के हसीन कवाब में खो जौंगा
तेरी ज़ुल्फो की सिया रात में सो जौंगा
साथ च्छुटा तो मैं बर्बाद भी हो जौंगा
तू ज़रूरी है बहुत मेरे खजाने के लिए
मैं चला रंग गुलबो से चुराने के लिए
अपने महबूब की तस्वीर बनाने के लिए
मैं चली रंग गुलबो से चुराने के लिए

अपनी पलाके मेरी आंको पे जुका कर देखो
जील को आज समंदर से मिला कर देखो
मेरी बहो मे चले आओ फिर आ कर देखो
आओ ना आओ ना, आ कर देखो
मैं तेरे संग कही से भी गुजर सकती हू
दूर मत जाना मुझे छ्चोड़ के मर सकती हू
टूट कर फूल की तरह से बिखर सकती है
उमर बार साथ रहो मेरे मुझे बचाने के लिए
मैं चली रंग गुलबो से चुराने के लिए
अपने महबूब की तस्वीर बनाने के लिए
मैं चला रंग गुलबो से चुराने के लिए
मैं चली रंग गुलबो से चुराने के लिएआ

Wissenswertes über das Lied Apne Mehboob Ki von Alka Yagnik

Wer hat das Lied “Apne Mehboob Ki” von Alka Yagnik komponiert?
Das Lied “Apne Mehboob Ki” von Alka Yagnik wurde von Faaiz Anwar komponiert.

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