Barsaat Hai Lagne Laga Hai Dar

MUHAMMAD IRFAN

बरसात हैं लगने लगा हैं डर
कुछ हो रहा इधर कुछ उधर
खिड़कियाँ बंद कर लो

इस रात से लगने लगा हैं डर
कुछ हो रहा इधर कुछ उधर
खिड़कियाँ बंद कर लो

नज़र आ रहा हैं कैसा यह मंज़र
है तूफ़ान बाहर हैं तूफ़ान अंदर

नज़र आ रहा हैं कैसा यह मंज़र
है तूफ़ान बाहर हैं तूफ़ान अंदर

दिलों में यह कैसी कसक उठ रही हैं
कोई आग जलके नहीं बुझ रही हैं
कोई आग जलके नहीं बुझ रही हैं

इस आग से लगने लगा हैं डर
कुछ हो रहा इधर कुछ उधर
खिड़कियाँ बंद कर लो

सारी उम्र हम प्यासे ही तरसे
तमन्ना हैं अब यह घटा और बरसे
सारी उम्र हम प्यासे ही तरसे
तमन्ना हैं अब यह घटा और बरसे

घटाओं से कह दो कही और जाएँ
यह बारिश की बूंदे हमें न सताएं
यह बारिश की बूंदे हमें न सताएं

क्या बात हैं लगने लगा हैं डर
कुछ हो रहा इधर कुछ उधर
खिड़कियाँ बंद कर लो

बरसात हैं लगने लगा हैं डर
कुछ हो रहा इधर कुछ उधर
खिड़कियाँ बंद कर लो
खिड़कियाँ बंद कर लो

Wissenswertes über das Lied Barsaat Hai Lagne Laga Hai Dar von Alka Yagnik

Wer hat das Lied “Barsaat Hai Lagne Laga Hai Dar” von Alka Yagnik komponiert?
Das Lied “Barsaat Hai Lagne Laga Hai Dar” von Alka Yagnik wurde von MUHAMMAD IRFAN komponiert.

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