Main Kya Karoon
मैं क्या करूँ
क्या करूँ, क्या करूँ, क्या करूँ
हो, मैं क्या करूँ
क्या करूँ, क्या करूँ, क्या करूँ
प्रेम दीवानी हूँ, पर मैं अंजानी हूँ
उलझी है जो डोरी वो मैं कैसे सुलझाऊं
मैं क्या करूँ
क्या करूँ, क्या करूँ, क्या करूँ
मैं चली थी सपनों के रात में
फिर चलते चलते मुझे मॅन के पाठ में
यह दोराह कैसा मिला
एक और सब रीत रस्में
और एक और चाहत की कस्में
अब क्या मैं कहूँ क्या मिला
मैं चली थी सपनों के रात में
फिर चलते चलते मुझे मॅन के पाठ में
यह दोराह कैसा मिला
एक और सब रीत रस्में
और एक और चाहत की कस्में
अब क्या मैं कहूँ क्या मिला
एक और जीवन है, एक और साजन है
मेरी अब जो उलझन है वो कैसे समझाऊं
मैं क्या करूँ
क्या करूँ, क्या करूँ, क्या करूँ
में तो भूल जाती तू अप्सरा हे
जीवन मिला हे मुझे लोगो सुन्ना पड़ा
पर क्या करूंगी में युग युग के जी के
प्रीतम के संग इक पल जो बीते
पाला यूँ लोगो से पड़ा
में तो भूल जाती तू अप्सरा हे
जीवन मिला हे मुझे लोगो सुन्ना पड़ा
पर क्या करूंगी में युग युग के जी के
प्रीतम के संग इक पल जो बीते
पाला यूँ लोगो से पड़ा
तोड़ के हर बंधन
छोड़ के हर आंगन
मन करे हर पल में उन्ही के संग बिताऊं
मैं क्या करूँ
क्या करूँ, क्या करूँ, क्या करूँ
प्रेम दीवानी हूँ, पर मैं अंजानी हूँ
उलझी है जो डोरी वो मैं कैसे सुलझाऊं
मैं क्या करूँ
क्या करूँ, क्या करूँ, क्या करूँ