Saawan Aaya Barsi Ghatayen

Rani Malik

सावन आया बरसी घटायें
छेड़े सरगम महकी हवायें
नैनो मे मिलने की आस हो
फिर भी ये मन क्यू उदास हो
फिर भी ये मन क्यू उदास
सावन आया बरसी घटायें
छेड़े सरगम महकी हवायें
नैनो मे मिलने की आस हो
फिर भी ये मन क्यू उदास हो
फिर भी ये मन क्यू उदास

चारो तरफ़ है घोर अंधेरा
जाने कहाँ है उजला सवेरा
भीग गये हैं पल जो सुहाने
मन मे है उन यादो का बसेरा
दूर भी होके तू है पास हो
फिर भी ये मन क्यू उदास हो
फिर भी ये मन क्यू उदास

प ध सा नि रे रे रे रे रे रे रे रे नि रे नि ध म म म म म म
प ध सा नि रे रे रे रे रे रे रे रे नि रे नि ध म म म म म म

कितने सपने बिखर गये है
रहो मे अपने बिछड़ गये है
ख़ुसीयों की एक झलक दिखा के
ना जाने वो किधर गये है
देके मुझे एक आस हो
फिर भी ये मन क्यू उदास हो
फिर भी ये मन क्यू उदास
सावन आया बरसी घटायें
छेड़े सरगम महकी हवायें
नैनो मे मिलने की आस हो
फिर भी ये मन क्यू उदास हो
फिर भी ये मन क्यू उदास

Wissenswertes über das Lied Saawan Aaya Barsi Ghatayen von Alka Yagnik

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Das Lied “Saawan Aaya Barsi Ghatayen” von Alka Yagnik wurde von Rani Malik komponiert.

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