Sare Sapne

Javed Akhtar

मोहब्बत पॅल्को पे कितने हसीन ख्वाब सजाती है
फुलो से महेकते ख्वाब सितारो से जगमगाते ख्वाब
शबनम से बरसते ख्वाब फिर कभी यू भी होता है
की पॅल्को की डालियो से ख्वाबों के सारे परिंदे उड़ जाते है
और आँखे वीरान सी रह जाती है

सारे सपने कही खो गये
हाए हम क्या से क्या हो गये
सारे सपने कही खो गये
हाए हम क्या से क्या हो गये

दिल से तन्हाई का दर्द जीता
क्या कहे हम पे क्या क्या ना बीता आ आ
दिल से तन्हाई का दर्द जीता (आ आ आ)
क्या कहे हम पे क्या क्या ना बीता
तुम ना आए मगर जो गये
हाए हम क्या से क्या हो गये
सारे सपने कही खो गये
हाए हम क्या से क्या हो गये

आ आ आ आ आ आ आ आ आ आ
आ आ आ आ आ आ आ आ आ आ

तुमने हमसे कही थी जो बाते
उनको दोहराती है गम की राते
तुमने हमसे कही थी जो बाते (आ आ आ)
उनको दोहराती है गम की राते
तुमसे मिलने के दिन तो गये
हाए हम क्या से क्या हो गये
सारे सपने कही खो गये
हाए हम क्या से क्या हो गये

आ आ आ आ आ आ आ आ आ आ
आ आ आ आ आ आ आ आ आ आ

कोई शिकवा ना कोई गीला है
तुमसे कब हमको ये गम मिला है (आ आ आ)
कोई शिकवा ना कोई गीला है
तुमसे कब हमको ये गम मिला है
हा नसीब अपने ही सो गये
हाए हम क्या से क्या हो गये
सारे सपने कही खो गये
हाए हम क्या से क्या हो गये

Wissenswertes über das Lied Sare Sapne von Alka Yagnik

Wer hat das Lied “Sare Sapne” von Alka Yagnik komponiert?
Das Lied “Sare Sapne” von Alka Yagnik wurde von Javed Akhtar komponiert.

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