Tera Zikr

AHSAN PARVAIZ MEHDI, RAJIV RANA

धड़कन का चलना
अब मुश्किल बड़ा है
कैसे चलेंगे यह रतसा
अब गीला पड़ा है
आँखों का सारा पानी
अब दिल में खड़ा है
दिल में पानी का जमघट
आँखों का सुना पनघट
सब करते हैं
तेरा ज़िक्र….तेरा ज़िक्र
तेरा ज़िक्र….तेरा ज़िक्र

क्यूँ आसमान यह रोता है ऐसे
तारों से तीसें उठती हों जैसे
चाँद को जैसे रोग लगा है
किसने उसका चैन ठगा है
मेरी तरह वो भी रातों को तडपे
लगता है जैसे की उसपे भी घर पे
सब करते हैं
तेरा ज़िक्र तेरा ज़िक्र
तेरा ज़िक्र तेरा ज़िक्र
ज़िक्र ज़िक्र ज़िक्र
ज़िक्र ज़िक्र ज़िक्र
क्यूँ तू मुझसे रूठ गया है
दिल में सब कुछ टूट गया है
हर इक लम्हा सोज़ बना है
जीना जैसे भोज बना है
आजा तू लौट के यार अनोखे
तूने दिए थे जो मुझको धोके
सब करते हैं
तेरा ज़िक्र….तेरा ज़िक्र
तेरा ज़िक्र….तेरा ज़िक्र

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