Muqaddar Ka Badshaah

SAMEER, VIJAY KALYANJI SHAH

जालिमो के ज़ुल्म की आग मे जला
आसुओ को पी गया काटों पे चला
ज़ुल्म को जमाने से मिटाने के लिए
बन गया मैं बन गया
मुकद्दर का बादशाह मुकद्दर का बादशाह
जालिमो के ज़ुल्म की आग मे जला
आसुओ को पी गया काटों पे चला
ज़ुल्म को जमाने से मिटाने के लिए
बन गया मैं बन गया
मुकद्दर का बादशाह मुकद्दर का बादशाह

ढोंगी पापी अधर्मी को भगवान कहा लोगो ने
देश को जिसने लूटा उसे महान कहा लोगो ने
लूट के ऐसे लुटेरो से मैने दिया तो ग़रीबो को
अपने हाथो से जो सवरा बिगड़े हुए नसीबों को
तो क्या ये नाइंसाफी है क्या ये पाप है
क्या ये गुनाह है बोलो
परदा सबके चेहरे से उठाने के लिए
ली है जो कसम उसे निभाने के लिए
ज़ुल्म को जमाने से मिटाने के लिए
बन गया मैं बन गया
मुकद्दर का बादशाह मुकद्दर का बादशाह

आ आ आ आ आ आ

जब बहन की आबरू लूटने लगे

आ आ आ आ

जब बहन की आबरू लूटने लगे
दर्द के पहाड़ मुझपे टूटने लगे
मैं कैसे चुप रहता कितने सितम सहता बोलो
क़ानून के वेह्शी दरिंदो ने इतना मजबूर किया
मैने अपने हाथो से ज़ंजीरो को तोड़ दिया
दुश्मनों को खाक मे मिलने के लिए
प्यास उनके खून से बुझाने के लिए
ज़ुल्म को जमाने से मिटाने के लिए
बन गया मैं बन गया
मुकद्दर का बादशाह मुकद्दर का बादशाह
जालिमो के ज़ुल्म की आग मे जला
आसुओ को पी गया काटों पे चला
ज़ुल्म को जमाने से मिटाने के लिए
बन गया मैं बन गया
मुकद्दर का बादशाह मुकद्दर का बादशाह
मुकद्दर का बादशाह

Wissenswertes über das Lied Muqaddar Ka Badshaah von Amit Kumar

Wer hat das Lied “Muqaddar Ka Badshaah” von Amit Kumar komponiert?
Das Lied “Muqaddar Ka Badshaah” von Amit Kumar wurde von SAMEER, VIJAY KALYANJI SHAH komponiert.

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