Tum Itna Jo Musukura Rahe Ho
Azmi Kaifi, Jagjit Singh
तुम इतना जो मुस्कुरा रहे हो
तुम इतना जो मुस्कुरा रहे हो
क्या गम है जिसको छुपा रहे हो
तुम इतना जो मुस्कुरा रहे हो
आँखों में नमी, हँसी लबों पर
आँखों में नमी, हँसी लबों पर
क्या हाल है क्या दिखा रहे हो
क्या गम है जिसको छुपा रहे हो
तुम इतना जो मुस्कुरा रहे हो
बन जायेंगे ज़हर पीते पीते
बन जायेंगे ज़हर पीते पीते
ये अश्क जो पिए जा रहे हो
जिन ज़ख्मों को वक़्त भर चला है
तुम क्यों उन्हें छेड़े जा रहे हो
तुम क्यों उन्हें छेड़े जा रहे हो
क्या गम है जिसको छुपा रहे हो
तुम इतना जो मुस्कुरा रहे हो