Tabaahi

Abhiruchi Chand, Armaan Malik, OAFF

बहती हवा जैसे
धीमे से हम दोनों बहें
भीगी-सी बारिश में
भीगे-से हम दोनों रहें
थोड़ा-थोड़ा-सा मैं हूँ
थोड़ा-थोड़ा-सा तू भी है
क्यूँ ना हम दोनों मिलके पूरे-पूरे बनें?
तू है मैं हूँ जो यहाँ
फिर क्या ही बाकी है?
तू है तो सुकूँ यहाँ
तेरे बिन तबाही है
हूँ ज़मीं पे या आसमां
होश किसको है अब कहाँ?
तू है तो सुकूँ यहाँ
तेरे बिन तबाही है
चल ढूँढे घर कोई
दिन-दोपहर कोई कहीं
बस मैं हूँ और तुम हो
ऐसा शहर कोई
कहीं खोया-खोया-सा मैं हूँ
खोया-खोया-सा तू भी
क्यूँ ना हम दोनों यूँ ही खोए-खोए रहें?
तू है मैं हूँ जो यहाँ
फिर क्या ही बाकी है?
तू है तो सुकूँ यहाँ
तेरे बिन तबाही है
हूँ ज़मीं पे या आसमां
होश किसको है अब कहाँ?
तू है तो सुकूँ यहाँ
तेरे बिन तबाही है
नदियाँ-झीलें हैं जहाँ
चल ना बहके चल वहाँ
मिल जाएँ दोनों जहाँ, जहाँ, जहाँ
थोड़ा-थोड़ा-सा मैं हूँ
थोड़ा-थोड़ा-सा तू भी है
क्यूँ ना हम दोनों मिलके पूरे-पूरे बनें? (बनें)
तू है मैं हूँ जो यहाँ
फिर क्या ही बाकी है?
तू है तो सुकूँ यहाँ
तेरे बिन तबाही है
हूँ ज़मीं पे या आसमां
होश किसको है अब कहाँ?
तू है तो सुकूँ यहाँ
तेरे बिन तबाही है

Wissenswertes über das Lied Tabaahi von Armaan Malik

Wer hat das Lied “Tabaahi” von Armaan Malik komponiert?
Das Lied “Tabaahi” von Armaan Malik wurde von Abhiruchi Chand, Armaan Malik, OAFF komponiert.

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