Chhalak Rahi Boonden Mitwa
छलक रही बुँदे मितवा
प्रेम रस पी ले रे
प्रेम रस पी ले
छलक रही बुँदे मितवा
प्रेम रस पी ले रे
प्रेम रस पी ले
छलक रही बुँदे मितवा
आ आ आ आ
प्रेम रास आजा रे और रंगत आये
प्रेम रास आजा रे और रंगत आये
प्रेम नगरी मदिरा भरी
छलक रही बुँदे
मन तो कहे चल देश पिया के
नैन काहे अंजन डगर है
योवन कहे हम डर नहीं
कब बोलेगा कटो का सफर है
नित आशा के दीप जलाओ
धीरज दे मन को समझौ
विरही मन मने न मनाये
लाख कहु अभी बाली उम्र है
छलक रही बुँदे
आ आ आ
प्रेम घाट मधु से भरे
चालत चालके
प्रेम घाट मधु से भरे
चालत चलके हाय रे
सजन चलिये कहे न पिए
छलक रही बुँदे
मिटवा प्रेम रस पी ले रे
मिटवा प्रेम रस पी
छलक रही बुँदे
छलक रही बुँदे
छलक रही बुँदे
छलक रही बुँदे