Gori Sharmao Na Humse

O P Nayyar, S H Bihari

खुदा करे के ना रूठे कभी शबाब के दिन
नज़र में यार के हर दम बहार बनके रहो
हो गोरी शरमाओ ना हमसे कहदो ज़रा
हो गोरी शरमाओ ना हमसे कहदो ज़रा
बात क्या क्या हुई रात कैसे कटी
हो हुस्न के सामने इश्क कैसे झुका
हो हुस्न के सामने इश्क कैसे झुका
बात क्या क्या हुई रात कैसे कटी
हो गोरी शरमाओ ना हमसे कहदो ज़रा

दो दिलों के मिलन का वो नाजुक समा (समा)

रूह बरसों तड़पती है जिसके लिए (रूह बरसों तड़पती है जिसके लिए)

ये बदन चाँदनी जिसे पे कुर्बान है
देखते ही जिसे बुझ गये सब दिए

हो ऐसी हालत में क्या तुमने इनसे कहा (हो ऐसी हालत में क्या तुमने इनसे कहा)

हो ऐसी हालत में क्या तुमने इनसे कहा
बात क्या क्या हुई रात कैसे कटी
हो गोरी शरमाओ ना हमसे कहदो ज़रा

जिंदगी जब उठी लेके अंगडाईयाँ
आरजू दिल में करवट बदलने लगी
हर अदा जब तेरी एक दुल्हन बन गयी
रात जुल्फ़ों के साये में चलने लगी

हो जब ये आलम था दोनों के जज़्बात का (हो जब ये आलम था दोनों के जज़्बात का)
हो जब ये आलम था दोनों के जज़्बात का (हो जब ये आलम था दोनों के जज़्बात का)

बात क्या क्या हुई रात कैसे कटी
हो हुस्न के सामने इश्क कैसे झुका
बात क्या क्या हुई रात कैसे कटी
हो गोरी शरमाओ ना हमसे कहदो ज़रा
हो गोरी शरमाओ ना हमसे कहदो ज़रा

Wissenswertes über das Lied Gori Sharmao Na Humse von Asha Bhosle

Wer hat das Lied “Gori Sharmao Na Humse” von Asha Bhosle komponiert?
Das Lied “Gori Sharmao Na Humse” von Asha Bhosle wurde von O P Nayyar, S H Bihari komponiert.

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