Hare Kanch Ki Chudiyan [Classic Revival]

SHAILENDRA, Shankar-Jaikishan

धानी चुनरी पहन
धानी चुनरी पहन, सजके, बनके दुल्हन
जाऊँगी उनके घर, जिनसे लागी लगन
आएँगे जब सजन
आएँगे जब सजन, जीतने मेरा मन
कुछ न बोलूँगी मैं, मुख न खोलूँगी मैं
बज उठेंगी हरे काँच की चूड़ियाँ
ये कहेंगी हरे काँच की चूड़ियाँ
काँच की चूड़ियाँ काँच की चूड़ियाँ

छूटे माता-पिता
छूटे माता-पिता, छूटा वो बालापन
खेली मैं जिसके संग पूरे सोलह सावन
देके तन और मन
देके तन और मन, मैं मनाऊँ सजन
तेरी बाँहों में हो, मेरा जीवन-मरण
ये कहेंगी हरे काँच की चूड़ियाँ
वादा लेंगी हरे काँच की चूड़ियाँ
काँच की चूड़ियाँ काँच की चूड़ियाँ

दो सलोने वचन
दो सलोने वचन, तुमको मेरी क़सम
ये क़सम प्यार की, ये रसम प्यार की
अब निभाना सजन
अब निभाना सजन, मत भुलाना सजन
जाओ परदेस तो, जल्दी आना सजन
वादा लेंगी हरे काँच की चूड़ियाँ
फिर कहेंगी हरे काँच की चूड़ियाँ
बज उठेंगी हरे काँच की चूड़ियाँ
काँच की चूड़ियाँ काँच की चूड़ियाँ

Wissenswertes über das Lied Hare Kanch Ki Chudiyan [Classic Revival] von Asha Bhosle

Wer hat das Lied “Hare Kanch Ki Chudiyan [Classic Revival]” von Asha Bhosle komponiert?
Das Lied “Hare Kanch Ki Chudiyan [Classic Revival]” von Asha Bhosle wurde von SHAILENDRA, Shankar-Jaikishan komponiert.

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