Nikle The Kahan Jane Ke Liye

Roshan, Sahir Ludhianvi

निकले थे कहा जाने के लिए
पहुंचे है कहा मालूम नहीं
पहुंचे है कहा मालूम नहीं
अब अपने भटकते कदमों को
मंजिल का निशा मालूम नहीं
मंजिल का निशा मालूम नहीं

हमने भी कभी हो
हमने भी कभी इस गुलशन में
एक ख्वाब-ए-बहारा देखा था
एक ख्वाब-ए-बहारा देखा था
कब फूल झड़े
कब फूल झड़े कब गर्द उड़े
कब आयी खिजा मालूम नहीं
कब आयी खिजा मालूम नहीं
अब अपने भटकते कदमों को
मंजिल का निशा मालूम नहीं
मंजिल का निशा मालूम नहीं

दिल शोला ए ग़म से हो
दिल शोला ए ग़म से खाक हुआ
या आग लगी अरमानो में
या आग लगी अरमानो में
क्या चीज़ जली
क्या चीज़ जली क्यों सीने से
उठता है धुवा मालूम नहीं
उठता है धुवा मालूम नहीं
अब अपने भटकते कदमों को
मंजिल का निशा मालूम नहीं
मंजिल का निशा मालूम नहीं

बरबाद वफ़ा हो
बरबाद वफ़ा का अफसाना
हम किससे कहे और कैसे कहें
हम किससे कहे और कैसे कहें
खामोश हैं लब
खामोश हैं लब और दुनिया को
अश्को की जुबान मालूम नहीं
अश्को की जुबान मालूम नहीं
निकले थे कहा जाने के लिए
पहुंचे है कहा मालूम नहीं
पहुंचे है कहा मालूम नहीं
अब अपने भटकते कदमों को
मंजिल का निशा मालूम नहीं
मंजिल का निशा मालूम नहीं

Wissenswertes über das Lied Nikle The Kahan Jane Ke Liye von Asha Bhosle

Wer hat das Lied “Nikle The Kahan Jane Ke Liye” von Asha Bhosle komponiert?
Das Lied “Nikle The Kahan Jane Ke Liye” von Asha Bhosle wurde von Roshan, Sahir Ludhianvi komponiert.

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