Zulfon Ke Andhere Mein

Majrooh Sultanpuri

ज़ुल्फ़ों के अँधेरे में
दोनों ही अकेले में
और सपने हैं जवा
पिया ऐसे तो जाने न दूँगी
जाने मिलो फिर कहा
पिया ऐसे तो जाने न दूँगी
जाने मिलो फिर कहा

ज़ुल्फ़ों के अँधेरे में
दोनों मिले अकेले में
और सपने हैं जवा
पिया ऐसे तो जाने न दूँगी
जाने मिलो फिर कहा
पिया ऐसे तो जाने न दूँगी
जाने मिलो फिर कहा

तेरे लिए फिरी
मैं गली गली तमाम
गए हज़ार दिन
अयी तबक साम
मिलती किस्मत से हैं
सनम ऐसी तन्हाईऐ
पिया ऐसे तो जाने न दूँगी
जाने मिलो फिर कहा
पिया ऐसे तो जाने न दूँगी
जाने मिलो फिर कहा

कातिल अगर हैं तेरी
होगा रे मुझको क्या
आयी हूँ आज में
करके ये फैसला
अब टुकड़े हो दिल के
या जाये मेरी जा
पिया ऐसे तो जाने न दूँगी
जाने मिलो फिर कहा
पिया ऐसे तो जाने न दूँगी
जाने मिलो फिर कहा

चाहे बदल भी जा
तू मेरी छह से
नज़र न तक ऐसे निगाह से
तेरे चहरे पर हैं
आज कासी परछाईया
पिया ऐसे तो जाने न दूँगी
जाने मिलो फिर कहा
पिया ऐसे तो जाने न दूँगी
जाने मिलो फिर कहा
ज़ुल्फ़ों के अँधेरे में
दोनों ही अकेले में
और सपने हैं जवा
पिया ऐसे तो जाने न दूँगी
जाने मिलो फिर कहा
पिया ऐसे तो जाने न दूँगी
जाने मिलो फिर कहा

Wissenswertes über das Lied Zulfon Ke Andhere Mein von Asha Bhosle

Wer hat das Lied “Zulfon Ke Andhere Mein” von Asha Bhosle komponiert?
Das Lied “Zulfon Ke Andhere Mein” von Asha Bhosle wurde von Majrooh Sultanpuri komponiert.

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