Woh Jo Shair Tha
वो जो शायर था
चुप सा रहता था
बहकी बहकी सी बाते करता था
आँखें कानो पे रखके सुनता था
यूँही खामोश रूह की आवाज़े
वो जो शायर था
जमा करता था चंदा के साए
घीली घीली सी नूर की बूंदे
ओख में भर के खड़ खड़ा था
रूखे रूखे से रात के पत्ते
वक़्त के इस घनेरे जुंगल में
कच्चे पक्के से लम्हे चुनता था
वो जो शायर था
हा वहीं वो अजीब सा शायर
रात के उठाके कोहनिओ के बल
चाँद की खड़ी चूमा करता था
चाँद से गिरके मर गया हैं वो
लोग कहते हैं खुदखुशी की हैं
लोग कहते हैं खुदखुशी की हैं
लोग कहते हैं खुदखुशी की हैं
वो जो शायर था
आ आ आ आ
आ आ आ आ
आ आ आ आ आ आ आ आ
आ आ आ आ आ आ
आ आ आ
वो जो शायर था
वो जो शायर था
वो जो शायर था