Zara Zara [Lofi 1]

K Kami, Sameer, J Jayaraj Harris

ज़रा ज़रा बहकता है महकता है
आज तो मेरा तन बदन
मैं प्यासी हूँ
मुझे भर ले अपनी बाहों में

यूँ ही बरस बरस काली घटा बरसे
हम यार भीग जाएँ इस चाहत की बारिश में
मेरी खुली खुली लटों को सुलझाए
तू अपनी उँगलियों से
मैं तो हूँ इसी ख्वाहिश में
सर्दी की रातों में
हम सोये रहें एक चादर में
हम दोनों तन्हाँ हो
ना कोई भी रहे इस घर में
ज़रा ज़रा बहकता है महकता है
आज तो मेरा तन बदन
मैं प्यासी हूँ
मुझे भर ले अपनी बाहों में

तड़पाएँ मुझे तेरी सभी बातें
एक बार ऐ दीवाने झूठा ही सही प्यार तो कर
मैं भूली नहीं हसीं मुलाकातें
बैचेन कर के मुझको
मुझसे यूँ ना फेर नज़र
रूठेगा ना मुझसे
मेरे साथिया ये वादा कर
तेरे बिना मुश्किल है
जीना मेरा मेरे दिलबर
ज़रा ज़रा बहकता है
महकता है
आज तो मेरा तन बदन
मैं प्यासी हूँ
मुझे भर ले अपनी बाहों में
है मेरी कसम तुझको सनम
दूर कहीं ना जा
ये दूरी कहती है
पास मेरे आजा रे

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