Aa Chandni Bhi

HARIHARAN, BASHIR BADR

आज चांदनी भी मेरी तरह जाग रही हैं
आज चांदनी भी मेरी तरह जाग रही हैं
पलकों पे चरागो को लिए रात खड़ी हैं
आज चांदनी भी मेरी तरह जाग रही हैं
पलकों पे चरागो को लिए रात खड़ी हैं
आज चांदनी भी मेरी तरह जाग रही हैं

वो माथे का मतला हो, के होटो के दो मिसरे
वो माथे का मतला हो, के होटो के दो मिसरे
बचपन से गज़ल ही मेरी महबूब रही हैं
बचपन से गज़ल ही मेरी महबूब रही हैं
पलकों पे चरागो को लिए रात खड़ी हैं
आज चांदनी भी मेरी तरह जाग रही हैं

गज़लों ने वही जुल्फों के फैला दिए साये
गज़लों ने वही जुल्फों के फैला दिए साये
जिन राहों पे देखा हैं धुप कड़ी हैं
जिन राहों पे देखा हैं धुप कड़ी हैं
पलकों पे चरागो को लिए रात खड़ी हैं
आज चांदनी भी मेरी तरह जाग रही हैं

हम दिल्‍ली भी हो आए हैं, लाहौर भी घूमे
हम दिल्‍ली भी हो आए हैं, लाहौर भी घूमे
ऐ यार मगर तेरी गली, तेरी गली हैं
ऐ यार मगर तेरी गली, तेरी गली हैं
पलकों पे चरागो को लिए रात खड़ी हैं
आज चांदनी भी मेरी तरह जाग रही हैं
आज चांदनी भी मेरी तरह जाग रही हैं

Wissenswertes über das Lied Aa Chandni Bhi von Hariharan

Wer hat das Lied “Aa Chandni Bhi” von Hariharan komponiert?
Das Lied “Aa Chandni Bhi” von Hariharan wurde von HARIHARAN, BASHIR BADR komponiert.

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