Jitne Bhi Gham The Dil Ki Navaon Mein Aa Gaye

Safi Hassan

जितने भी ग़म थे
दिल की नवा में आ गए
जितने भी ग़म थे
दिल की नवा में आ गए
हम लेके सब चराग
हम लेके सब चराग
हवाओं में आ गए
जितने भी ग़म थे
दिल की नवा में आ गए

जब तक लहूँ, लहूँ थे
कोई पूछता ना था
जब तक लहूँ, लहँ थे
कोई पूछता ना था
पत्थर हुए तो हम भी
खुद़ा में आ गए
पत्थर हुए तो हम भी
खुद़ा में आ गए
हम लेके सब चराग
हवाओं में आ गए
जितने भी ग़म थे
दिल की नवा में आ गए

मिट्टी में छुप गए तो
फ़ज़ा जागने लगी
मिट्टी में छुप गए तो
फ़ज़ा जागने लगी
ये किस जमी के चाँद
घटाओं में आ गए
ये किस जमी के चाँद
घटाओं में आ गए
हम लेके सब चराग
हवाओं में आ गए
जितने भी ग़म थे
दिल की नवा में आ गए

मैंने अभी ख्याल-ए-सफ़र ही किया सफ़ी
मैंने अभी ख्याल-ए-सफ़र ही किया सफ़ी
कांटे सिमट के राह के
पाँव में आ गए
कांटे सिमट के राह के
पाँव में आ गए
हम लेके सब चराग
हवाओं में आ गए
जितने भी ग़म थे
दिल की नवा में आ गए
जितने भी ग़म थे
दिल की नवा में आ गए

Wissenswertes über das Lied Jitne Bhi Gham The Dil Ki Navaon Mein Aa Gaye von Hariharan

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Das Lied “Jitne Bhi Gham The Dil Ki Navaon Mein Aa Gaye” von Hariharan wurde von Safi Hassan komponiert.

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