Koi Mausam Ho

HARIHARAN, MUMTAZ RASHID

कोई मौसम हो तेरे रंग में ढल जाऊँगा
कोई मौसम हो तेरे रंग में ढल जाऊँगा
मैं कोई वक्‍त नहीं हूँ के बदल जाऊँगा
कोई मौसम हो तेरे रंग में ढल जाऊँगा
मैं कोई वक्‍त नहीं हूँ के बदल जाऊँगा
कोई मौसम हो तेरे रंग में ढल जाऊँगा

मैंने माना तू घटा है मगर इतना न बरस
मैंने माना तू घटा है मगर इतना न बरस
मैं भी दरिया हूँ कनारों से उबल जाऊँगा
मैं भी दरिया हूँ कनारों से उबल जाऊँगा
मैं कोई वक्‍त नहीं हूँ के बदल जाऊँगा
कोई मौसम हो तेरे रंग में ढल जाऊँगा

मै तेरे हाथ की रेखा है मुझे गौर से पढ़
मै तेरे हाथ की रेखा हैं मुझे गौर से पढ़
कम हुई तेरी मोहब्बत तो बदल जाऊँगा
कम हुई तेरी मोहब्बत तो बदल जाऊँगा
मैं कोई वक्‍त नहीं हूँ के बदल जाऊँगा
कोई मौसम हो तेरे रंग में ढल जाऊँगा

रोज़ आया ना करो उसने कहा है राशित
रोज़ आया ना करो उसने कहा है राशित
आज सड़कों पे भटक लूँ वहाँ कल जाऊँगा
आज सड़कों पे भटक लूँ वहाँ कल जाऊँगा
मैं कोई वक्त नहीं हूँ के बदल जाऊँगा
कोई मौसम हो तेरे रंग में ढल जाऊँगा
मैं कोई वक्त नहीं हूँ के बदल जाऊँगा
कोई मौसम हो तेरे रंग में ढल जाऊँगा

Wissenswertes über das Lied Koi Mausam Ho von Hariharan

Wann wurde das Lied “Koi Mausam Ho” von Hariharan veröffentlicht?
Das Lied Koi Mausam Ho wurde im Jahr 1997, auf dem Album “Jashn” veröffentlicht.
Wer hat das Lied “Koi Mausam Ho” von Hariharan komponiert?
Das Lied “Koi Mausam Ho” von Hariharan wurde von HARIHARAN, MUMTAZ RASHID komponiert.

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