Mere Dushman Mere Bhai

ANU MALIK, JAVED AKHTAR

जंग तो चाँद रोज़ होती है
जंग तो चाँद रोज़ होती है
ज़िंदगी बरसूं तलाक़ रोटी है…

सन्नाटे की गहरी च्चाँव
खामोशी से जलते गाँव
ये नदियों पर टूटे हुए पुल
धरती घायल और व्याकुल
ये खेत गमों से झुलसे हुए
ये खाली रास्ते सहमे हुए
ये मातम करता सारा समा
ये जलते घर ये काला धुआँ
ये जलते घर ये काला धुआँ
होहो..

मेरे दुश्मन मेरे भाई मेरे हुंसाए
मेरे दुश्मन मेरे भाई मेरे हुंसाए
मुझसे तुझसे हम दोनों से
ये जलते घर कुच्छ कहते हैं
बर्बादी के सारी
मंज़र कुच्छ कहते हैं
हे..मेरे दुश्मन
मेरे भाई मेरे हुंसाए
होहो

ह्म
बारूद से बोझल सारी फ़िज़ा
है मौत की धूप है लाती हवा
ज़ख़्मों पे है छ्चाई लाचारी
दरियों में है खिलती बीमारी
ये मरते बच्चे हाथों में
ये माओं का रोने रातों में
मुर्दा बस्ती मुर्दा है नगर
चेहरे पत्थर हैं दिल पत्थर
चेहरे पत्थर हैं दिल पत्थर
होहो..
ह्म..मेरे दुश्मन
मेरे भाई मेरे हुंसाए
मेरे दुश्मन
मेरे भाई मेरे हुंसाए
मुझसे तुझसे हम दोनों सुन
ये पत्थर घर कुच्छ कहते हैं
बर्बादी के सारी
मंज़र कुच्छ कहते हैं
हे..मेरे दुश्मन
मेरे भाई मेरे हुंसाए
होहो…

ह्म..मेरे दुश्मन
मेरे भाई मेरे हुंसाए
चेहरों के दिलों के
ये पत्थर ये जलते घर
बर्बादी के सारे मंज़र
सब मेरे नगर सब तेरे नगर
ये कहते हैं
इस सरहद पर पुल्कारेगा
कब तक नफ़रत का ये अजगर
कब तक नफ़रत का ये अगरक
इस सरहद पर पुल्कारेगा
कब तक नफ़रत का ये अजगर
हम अपने अपने खेतों में
गेहूँ की जगह चावल की जगह
ये बंदूकें क्यों बोते हैं
जब दोनों ही की गलियों में
कुच्छ भूक्के बच्चे रोते हैं
कुचभूखे बच्चे रोते हैं
आ खायें कसम
अब जुंग नहीं होने पाए
आ खायें कसम
अब जुंग नहीं होने पाए
और उस दिन का रास्ता देखें
जब खिल उठते तेरा भी चमन
जब खिल उठते मेरा भी चमन
तेरा भी वतन मेरा भी वतन
मेरा भी वतन तेरा भी वतन
तेरा भी वतन मेरे भी वतन
तेरा भी वतन मेरे भी वतन
होहो..मेरे दोस्त मेरे भाई मेरे हुंसाए
मेरे दोस्त मेरे भाई मेरे हुंसाए
होहो..ह्म..एयेए

Wissenswertes über das Lied Mere Dushman Mere Bhai von Hariharan

Wer hat das Lied “Mere Dushman Mere Bhai” von Hariharan komponiert?
Das Lied “Mere Dushman Mere Bhai” von Hariharan wurde von ANU MALIK, JAVED AKHTAR komponiert.

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