Pathar Sulag Rahe The
पत्थर सुलग रहे थे कोई नक्श-ए-पा ना था
पत्थर सुलग रहे थे कोई नक्श-ए-पा ना था
हम जिस तरफ चले थे उधर रास्ता ना था
पत्थर सुलग रहे थे
यू देखती हैं गुमशुदा लम्हों के मोड़ से
यू देखती हैं गुमशुदा लम्हों के मोड़ से
इस जिंदगी से जैसे कोई वास्ता ना था
इस जिंदगी से जैसे कोई वास्ता ना था, आ आ आ
हम जिस तरफ चले थे उधर रास्ता ना था
पत्थर सुलग रहे थे
परछाईयों के शहर की तन्हाईया ना पूछ
परछाईयों के शहर की तन्हाईया ना पूछ
अपना शरीक-ए-गम कोई अपने सिवा ना था, आ आ आ
हम जिस तरफ चले थे उधर रास्ता ना था
पत्थर सुलग रहे थे
पत्तों के टूटने की सदा घुट के रह गई
पत्तों के टूटने की सदा घुट के रह गई
जंगल में दूर दूर हवा का पता ना था
जंगल में दूर दूर हवा का पता ना था
हम जिस तरफ चले थे उधर रास्ता ना था, आ आ आ
पत्थर सुलग रहे थे कोई नक्श-ए-पा ना था
पत्थर सुलग रहे थे