Zabt-E-Gham Ka Sila

Qabil Ajmeri

आ आ आ आ आ आ
आ आ आ आ आ आ
आ आ आ आ आ आ
ज़ब्त-ए-गम का सिला न दे जाना
ज़ब्त-ए-गम का सिला न दे जाना
जिंदगी की दुआ न दे जाना
जिंदगी की दुआ न दे जाना
ज़ब्त-ए-गम का सिला न दे जाना

बेकसी से बढ़ी उम्मीदें है
बेकसी से बढ़ी उम्मीदें है
बेकसी से बढ़ी उम्मीदें है
तुम कोई आसरा न दे जाना
तुम कोई आसरा न दे जाना
जिंदगी की दुआ न दे जाना
ज़ब्त-ए-गम का सिला न दे जाना

रात तारिक राह ना हमवार
रात तारिक राह ना हमवार
शाम-ए-गम को हवा न दे जाना
शाम-ए-गम को हवा न दे जाना
जिंदगी की दुआ न दे जाना
ज़ब्त-ए-गम का सिला न दे जाना

कोई एहसान करके काबिल पर
आ आ
कोई एहसान करके काबिल पर
कोई एहसान एहसान कोई एहसान करके काबिल पर
दोस्ती की सज़ा न दे जाना
दोस्ती की सज़ा न दे जाना
जिंदगी की दुआ न दे जाना
ज़ब्त-ए-गम का सिला न दे जाना
ज़ब्त-ए-गम का सिला न दे जाना

Wissenswertes über das Lied Zabt-E-Gham Ka Sila von Hariharan

Wann wurde das Lied “Zabt-E-Gham Ka Sila” von Hariharan veröffentlicht?
Das Lied Zabt-E-Gham Ka Sila wurde im Jahr 2008, auf dem Album “Ghazal Ka Mausam” veröffentlicht.
Wer hat das Lied “Zabt-E-Gham Ka Sila” von Hariharan komponiert?
Das Lied “Zabt-E-Gham Ka Sila” von Hariharan wurde von Qabil Ajmeri komponiert.

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