Zindane Subah Shaam Me Tu Bhi Hai

Akbar Hyderabadi

आ आ आ आ आ आ

जिंदाने सुबह शाम में
तू भी है मैं भी हूँ
जिंदाने सुबह शाम में
तू भी है मैं भी हूँ
एक गर्दिशें मुक़ाम मैं
तू भी है मैं भी हूँ
जिंदाने सुबह शाम में
तू भी है मैं भी हूँ

सहराओ का सुकुत
हमारा ही अक्स है
सहराओ का सुकुत
हमारा ही अक्स है
दरियाओ के खीरण में
तू भी है मैं भी हूँ
दरियाओ के खीरण में
तू भी है मैं भी हूँ
जिंदाने सुबह शाम में
तू भी है मैं भी हूँ

तेरे मेरे बिखरने से है
सारा इलतश
तेरे मेरे बिखरने से है
सारा इलतशर
तरती वो एहतमाम मैं
तू भी है मैं भी हूँ
तरती वो एहतमाम मैं
तू भी है मैं भी हूँ
जिंदाने सुबह शाम में
तू भी है मैं भी हूँ

लहजे में जान ओ दिल के
ये कहता है मुझसे कौन
लहजे में जान ओ दिल के
ये कहता है मुझसे कौन
अकबर तेरे कलाम में
तू भी है मैं भी हूँ
अकबर तेरे कलाम में
तू भी है मैं भी हूँ
एक गर्दिशें मुक़ाम मैं
तू भी है मैं भी हूँ
जिंदाने सुबह शाम में
तू भी है मैं भी हूँ
जिंदाने सुबह शाम में
तू भी है मैं भी हूँ

Wissenswertes über das Lied Zindane Subah Shaam Me Tu Bhi Hai von Hariharan

Wer hat das Lied “Zindane Subah Shaam Me Tu Bhi Hai” von Hariharan komponiert?
Das Lied “Zindane Subah Shaam Me Tu Bhi Hai” von Hariharan wurde von Akbar Hyderabadi komponiert.

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