Aaj Ke Daur Mein Ae Dost Ye Manjhar

JAGJIT SINGH, SUDARSHAN FAAKIR

आज के दौर में ऐ दोस्त ये मंजर क्यूँ है
आज के दौर में ऐ दोस्त ये मंजर क्यूँ है
जख्म हर सर पे हर इक हाथ में पत्थर क्यूँ है
आज के दौर में ऐ दोस्त ये मंजर क्यूँ है

जब हकीक़त है, की हर जर्रे में तू रहता है
जब हकीक़त है, की हर जर्रे में तू रहता है
फिर ज़मीन पर कहीं मस्जिद, कही मंदिर क्यूँ है
जख्म हर सर पे हर इक हाथ में पत्थर क्यूँ है
आज के दौर में ऐ दोस्त ये मंजर क्यूँ है

अपना अंजाम तो मालूम है सबको फिर भी
अपना अंजाम तो मालूम है सबको फिर भी
अपनी नजरों में हर इंसान सिकंदर क्यूँ है
जख्म हर सर पे हर इक हाथ में पत्थर क्यूँ है
आज के दौर में ऐ दोस्त ये मंजर क्यूँ है

ज़िन्दगी जीने के काबिल ही नहीं, अब फाकिर
ज़िन्दगी जीने के काबिल ही नहीं, अब फाकिर
वरना हर आँख में अश्कों का समंदर क्यूँ है
जख्म हर सर पे हर इक हाथ में पत्थर क्यूँ है
आज के दौर में ऐ दोस्त ये मंजर क्यूँ है

Wissenswertes über das Lied Aaj Ke Daur Mein Ae Dost Ye Manjhar von Jagjit Singh

Auf welchen Alben wurde das Lied “Aaj Ke Daur Mein Ae Dost Ye Manjhar” von Jagjit Singh veröffentlicht?
Jagjit Singh hat das Lied auf den Alben “Cry For Cry Music By Jagjit Singh” im Jahr 2010 und “Shukrana- 70 Soulful Songs "ghazals"- Vol 3” im Jahr 2011 veröffentlicht.
Wer hat das Lied “Aaj Ke Daur Mein Ae Dost Ye Manjhar” von Jagjit Singh komponiert?
Das Lied “Aaj Ke Daur Mein Ae Dost Ye Manjhar” von Jagjit Singh wurde von JAGJIT SINGH, SUDARSHAN FAAKIR komponiert.

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