Apne Karam Ki
अपने करम की गति मैं क्या जानू मैं क्या जानू बाबा रे
अपने करम की गति मैं क्या जानू मैं क्या जानू बाबा रे
नर मरे केछु काम ना आवे पशु मरे दस काज संवारे
नर मरे केछु काम ना आवे पशु मरे दस काज संवारे
अपने करम की गति मैं क्या जानू मैं क्या जानू बाबा रे
हाड़ जले जैसे लकड़ी का तूला केश जले जैसे घास का पुला
हाड़ जले जैसे लकड़ी का तूला केश जले जैसे घास का पुला
अपने करम की गति मैं क्या जानू मैं क्या जानू बाबा रे
कहे कबीर तब ही नर जागे जम का डंड मुंड में है लागे
कहे कबीर तब ही नर जागे जम का डंड मुंड में है लागे
अपने करम की गत मैं क्या जानू मैं क्या जानू बाबा रे ए ए