Apni Aankhon Ke Samundar Mein

JAGJIT SINGH, NAZIR BAQRI

अपनी आँखों के समंदर में उतर जाने दे
अपनी आँखों के समंदर में उतर जाने दे
तेरा मुजरिम हूँ मुझे डूब के मर जाने दे
अपनी आँखों के समंदर में उतर जाने दे

ऐ नए दोस्त मैं समझूँगा तुझे भी अपना
ऐ नए दोस्त मैं समझूँगा तुझे भी अपना
पहले माज़ी का कोई ज़ख़्म तो भर जाने दे
अपनी आँखों के समंदर में उतर जाने दे
तेरा मुजरिम हूँ मुझे डूब के मर जाने दे
अपनी आँखों के समंदर में उतर जाने दे

आग दुनिया की लगाई हुई बुझ जाएगी
आग दुनिया की लगाई हुई बुझ जाएगी
कोई आँसू मेरे दामन पर बिखर जाने दे
अपनी आँखों के समंदर में उतर जाने दे

ज़ख़्म कितने तेरी चाहत से मिले हैं मुझको
ज़ख़्म कितने तेरी चाहत से मिले हैं मुझको
सोचता हूँ के कहूँ तुझसे मगर जाने दे
अपनी आँखों के समंदर में उतर जाने दे
तेरा मुजरिम हूँ मुझे डूब के मर जाने दे
अपनी आँखों के समंदर में उतर जाने दे

Wissenswertes über das Lied Apni Aankhon Ke Samundar Mein von Jagjit Singh

Wann wurde das Lied “Apni Aankhon Ke Samundar Mein” von Jagjit Singh veröffentlicht?
Das Lied Apni Aankhon Ke Samundar Mein wurde im Jahr 2010, auf dem Album “Sentimantal Jagjit Singh -Jhuki Jhuki Si Nazar” veröffentlicht.
Wer hat das Lied “Apni Aankhon Ke Samundar Mein” von Jagjit Singh komponiert?
Das Lied “Apni Aankhon Ke Samundar Mein” von Jagjit Singh wurde von JAGJIT SINGH, NAZIR BAQRI komponiert.

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