Hamsafar Banke Ham

CHITRA SINGH, JAGJIT SINGH, PAL MADAN

हमसफ़र बन के हम साथ हैं अजनबी
फिर भी हैं ये सफ़र अजनबी अजनबी
राह भी अजनबी मोड़ भी अजनबी
जायेगे हम किधर अजनबी अजनबी

ज़िन्दगी हो गयी हैं सुलगता सफर
ज़िन्दगी हो गयी हैं सुलगता सफर
दूर कटला रहा हैं धुंआ सा नज़र
जाने किस मोड़ पर खो गयी हैं ख़ुशी
देके दर्द ए जिगर अजनबी अजनबी
हमसफ़र बन के हम साथ हैं आज भी
फिर भी हैं यह सफर अजनबी अजनबी

हम ने चुन चुन के
तिनके बनाया था जो
हम ने चुन चुन के
तिनके बनाया था जो
आसिया हसरतो से सजाया था जो
है चमन में वहीँ
असिया आज भी वहीँ
लग रहा हैं मगर अजनबी अजनबी

हमसफ़र बन के हम साथ हैं आजभी
फिर भी हैं ये सफ़र अजनबी अजनबी

किसको मालूम था दिन यह भी आएंगे
किसको मालूम था दिन यह भी आएंगे
मौसमों की तरह दिल बदल जाये गए
दिन हुआ अजनबी रात भी अजनबी
हर घड़ी हर पहर अजनबी अजनबी
हमसफ़र बन के हम साथ हैं आजभी
फिर भी हैं ये सफ़र अजनबी अजनबी
राह भी अजनबी मोड़ भी अजनबी
जायेगे हम किधर अजनबी अजनबी

Wissenswertes über das Lied Hamsafar Banke Ham von Jagjit Singh

Wann wurde das Lied “Hamsafar Banke Ham” von Jagjit Singh veröffentlicht?
Das Lied Hamsafar Banke Ham wurde im Jahr 1982, auf dem Album “Romance Jagjit Singh - Ahista Ahista” veröffentlicht.
Wer hat das Lied “Hamsafar Banke Ham” von Jagjit Singh komponiert?
Das Lied “Hamsafar Banke Ham” von Jagjit Singh wurde von CHITRA SINGH, JAGJIT SINGH, PAL MADAN komponiert.

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