Har Ek Baat Pe Kehte Ho Tum

Mirza Ghalib

हर एक बात पे कहते हो तुम के तू क्या है

हर एक बात पे कहते हो के तू, तू क्या है वाह

हर एक बात पे कहते हो तुम के तू क्या है
तुम्हीं कहों के ये अन्दाज़-ए-गुफ़्तगू क्या है

वाह वाह, क्या बात है, शुभान अल्लाह, बोहोत खूब

तुम्हीं कहों के ये अन्दाज़-ए-गुफ़्तगू क्या है (बोहोत खूब, वाह वाह वाह वाह)

अर्ज किया है

इर्शाद

रगों में दौड़ते फिरने के हम नहीं क़ायल

रगों में दौड़ते फिरने के हम नहीं क़ायल, बोहोत खूब वाह (वाह)

रगों में दौड़ते फिरने के हम नहीं क़ायल
जब आँख ही से न टपका तो फिर लहू क्या है (वाह वाह वाह)

बोहोत खूब वाह वाह

Wissenswertes über das Lied Har Ek Baat Pe Kehte Ho Tum von Jagjit Singh

Wer hat das Lied “Har Ek Baat Pe Kehte Ho Tum” von Jagjit Singh komponiert?
Das Lied “Har Ek Baat Pe Kehte Ho Tum” von Jagjit Singh wurde von Mirza Ghalib komponiert.

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