Hijaab - E - Fitna Parwar

Majaz, Jagit Singh

हिज़ाब-ए-फ़ितना परवर अब उठा लेती तो अच्छा था
हिज़ाब-ए-फ़ितना परवर अब उठा लेती तो अच्छा था
खुद अपने हुस्न को परदा बना लेती तो अच्छा था

तेरी नीची नज़र खुद तेरी इस्मत की मुहाफ़िज़ है
तेरी नीची नज़र खुद तेरी इस्मत की मुहाफ़िज़ है
तू इस नश्तर की तेजी आजमा लेती तो अच्छा था
तू इस नश्तर की तेजी आजमा लेती तो अच्छा था

तेरे माथे का टीका मर्द की किस्मत का तारा है
तेरे माथे का टीका मर्द की किस्मत का तारा है
तेरे माथे का टीका मर्द की किस्मत का तारा है
अगर तू साज़े-बेदारी उठा लेती तो अच्छा था
खुद अपने हुस्न को परदा बना लेती तो अच्छा था

तेरे माथे पे ये आँचल बहुत ही खूब है लेकिन
तेरे माथे पे ये आँचल बहुत ही खूब है लेकिन
तू इस आँचल से एक परचम बना लेती तो अच्छा था
तू इस आँचल से एक परचम बना लेती तो अच्छा था

Wissenswertes über das Lied Hijaab - E - Fitna Parwar von Jagjit Singh

Wann wurde das Lied “Hijaab - E - Fitna Parwar” von Jagjit Singh veröffentlicht?
Das Lied Hijaab - E - Fitna Parwar wurde im Jahr 2004, auf dem Album “Hijaab E Fitna Parwar” veröffentlicht.
Wer hat das Lied “Hijaab - E - Fitna Parwar” von Jagjit Singh komponiert?
Das Lied “Hijaab - E - Fitna Parwar” von Jagjit Singh wurde von Majaz, Jagit Singh komponiert.

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