Ho Karam

Arif Dehlvi

आ आ आ
दोस्तों में पेश कर रहा हु
भजन सहिता का अध्याय १०२

हो करम मुझपे खुदावंद
हो करम मुझपे खुदावंद
इल्तेजा सुनले मेरी
है मेरी फरियाद तुझसे
है मेरी फरियाद तुझसे
अब दुआ सुनले मेरी
हो करम मुझपे खुदावंद

जब मुसीबत आए तो
मुझसे ना अपना मूह च्छूपा
जब मुसीबत आए तो
मुझसे ना अपना मूह च्छूपा
जब पुकारू मैं तुझे
जब पुकारू मैं तुझे
तू सदा सुनले मेरी
हो करम मुझपे खुदावंद

ज़िंदगी के दिन उड़ जाते है जैसे के धुआँ
ज़िंदगी के दिन उड़ जाते है जैसे के धुआँ
जल रहा है तन मेरा
जल रहा है तन मेरा
तू ज़रा सुनले मेरी
हो करम मुझपे खुदावंद

ढल रही है उम्र मेरी ढलते साए की तरह
ढल रही है उम्र मेरी ढलते साए की तरह
घास सा सूखा हूँ अब मैं
घास सा सूखा हूँ अब मैं
आए खुदा सुनले मेरी
हो करम मुझपे खुदावंद
इल्तेजा सुनले मेरी
है मेरी फरियाद तुझसे
है मेरी फरियाद तुझसे
अब दुआ सुनले मेरी
हो करम मुझपे खुदावंद

Wissenswertes über das Lied Ho Karam von Jagjit Singh

Wer hat das Lied “Ho Karam” von Jagjit Singh komponiert?
Das Lied “Ho Karam” von Jagjit Singh wurde von Arif Dehlvi komponiert.

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