Jabse Kareeb Ho Ke Chale

Fazli Nida, Jagjit Singh

जबसे करीब हो के चले, जिंदगी से हम
जबसे करीब हो के चले, जिंदगी से हम
खुद अपने आने को लगे अजनबी से हम
जबसे करीब हो के चले, जिंदगी से हम

आंखों के देके रोशनी, गुल कर दिए चराग
आंखों के देके रोशनी, गुल कर दिए चराग
तांग आ चुके हैं वक्त की इस दिल्लगी से हम
तांग आ चुके हैं वक्त की इस दिल्लगी से हम
अच्छे बुरे के फ़र्क ने बस्ती उजाद दी
अच्छे बुरे के फ़र्क ने बस्ती उजाद दी
मजबूर हो के मिलने लगे हर किसी से हम
मजबूर हो के मिलने लगे हर किसी से हम

Wissenswertes über das Lied Jabse Kareeb Ho Ke Chale von Jagjit Singh

Wer hat das Lied “Jabse Kareeb Ho Ke Chale” von Jagjit Singh komponiert?
Das Lied “Jabse Kareeb Ho Ke Chale” von Jagjit Singh wurde von Fazli Nida, Jagjit Singh komponiert.

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