Kaun Aaya

Bashir Badr

कौन आया रास्ते आइना खानी हो गई
कौन आया रास्ते आइना खानी हो गई
रात रौशन हो गई, दिन भी सुहाने हो गए
कौन आया रास्ते आइना खानी हो गई

ये भी मुमकिन है कि मैंने उसको पहचाना ना हो
ये भी मुमकिन है कि मैंने उसको पहचाना ना हो
अब उसे देखे हुए कितने ज़माने हो गए
रात रौशन हो गई, दिन भी सुहाने हो गए
कौन आया रास्ते आइना खानी हो गई

जाओ उन कमरों के आईने उठाकर फ़ेंक दो
जाओ उन कमरों के आईने उठाकर फ़ेंक दो
बे अदब ही कह रहें हैं हम पुराने हो गए
रात रौशन हो गई, दिन भी सुहाने हो गए
कौन आया रास्ते आइना खानी हो गई

मेरी पलकों पर ये आँसू प्यार की तौहीन हैं
मेरी पलकों पर ये आँसू प्यार की तौहीन हैं
उसकी आँखों से गिरे मोती के दाने हो गए
रात रौशन हो गई, दिन भी सुहाने हो गए
कौन आया रास्ते आइना खानी हो गई

Wissenswertes über das Lied Kaun Aaya von Jagjit Singh

Wer hat das Lied “Kaun Aaya” von Jagjit Singh komponiert?
Das Lied “Kaun Aaya” von Jagjit Singh wurde von Bashir Badr komponiert.

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