Woh Firaaq Aur Woh Visal Kahan [Lofi]

JAGJIT SINGH, MIRZA GHALIB

वो फ़िराक़ और वो विसाल कहाँ
वो फ़िराक़ और वो विसाल कहाँ
वह शब-ओ-रोज़-ओ-माह-ओ-साल कहाँ

थी वो इक शख़्स के तसव्वुर से
थी वो इक शख़्स के तसव्वुर से
अब वह रानाई-ए-ख़याल कहाँ
वह शब-ओ-रोज़-ओ-माह-ओ-साल कहाँ

ऐसा आसाँ नहीं, लहू रोना
ऐसा आसाँ नहीं, लहू रोना
दिल में ताक़त, जिगर में हाल कहाँ
दिल में ताक़त, जिगर में हाल कहाँ
वह शब-ओ-रोज़-ओ-माह-ओ-साल कहाँ

फ़िक़्र-ए-दुनिया में सर खपाता हूँ
मैं कहाँ और ये वबाल कहाँ
वह शब-ओ-रोज़-ओ-माह-ओ-साल कहाँ
वो फ़िराक़ और वो विसाल कहाँ
वह शब-ओ-रोज़-ओ-माह-ओ-साल कहाँ

Wissenswertes über das Lied Woh Firaaq Aur Woh Visal Kahan [Lofi] von Jagjit Singh

Wer hat das Lied “Woh Firaaq Aur Woh Visal Kahan [Lofi]” von Jagjit Singh komponiert?
Das Lied “Woh Firaaq Aur Woh Visal Kahan [Lofi]” von Jagjit Singh wurde von JAGJIT SINGH, MIRZA GHALIB komponiert.

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