Jahaan Pe Dil Hai
KANISHK SETH, YASHWARDHAN GOSWAMI
ज़िंदगी के शोर में
दिल आज कहना चाहे
खामोशी के छोर पे
बात कोई रह ना जाए
ख़्हूद से ख़्हूद की मुलाक़ातें
आज तन्हा रह ना जायें
यूँ तो दिन है सभी काटे
आज लम्हा रह ना जाए
चल वहाँ
जहाँ पे दिल है
चल वहाँ
जहाँ पे दिल है
चल वहाँ
जहाँ पे दिल है
चल वहाँ
जहाँ पे दिल है
आसमान काई
खुलते रहें
दास्तान नयी
मिलती रहे
रहें अंजान हैं
ना ही आसान हैं
फिर भी घुमान है
दिल है जहाँ
धड़कनो की ल़हेर में
दिल आज बहना चाहे
ख्वाहिशों के शहेर में
फिर से रहना चाहे
चल वहाँ
जहाँ पे दिल है
चल वहाँ
जहाँ पे दिल है
चल वहाँ
जहाँ पे दिल है
चल वहाँ
जहाँ पे दिल है